नयी सरकार का बड़ा असर – सरकार बनने के ठीक बाद से लिए गए फैसलों के पीछे की क्या सोच रही और कैसे इनका असर दिखना शुरु हो गया। इन फैसलों ने मुश्किल में फंसे छोटे किसानों, कर्ज़ में दबे किसानों, आदिवासियों, युवाओं के जीवन में तेज़ी से असर दिखाया है।
किसान सशक्तिकरण
नयी सरकार का बड़ा असर – सरकार बनने के ठीक बाद से लिए गए फैसलों के पीछे की क्या सोच रही और कैसे इनका असर दिखना शुरु हो गया। इन फैसलों ने मुश्किल में फंसे छोटे किसानों, कर्ज़ में दबे किसानों, आदिवासियों, युवाओं के जीवन में तेज़ी से असर दिखाया है।
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किसान सशक्तिकरण
न्याय और फैसलों का दौर
नयी सरकार का बड़ा असर – सरकार बनने के ठीक बाद से लिए गए फैसलों के पीछे की क्या सोच रही और कैसे इनका असर दिखना शुरु हो गया। इन फैसलों ने मुश्किल में फंसे छोटे किसानों, कर्ज़ में दबे किसानों, आदिवासियों, युवाओं के जीवन में तेज़ी से असर दिखाया है।
‘चाह बदलो तो राह बदल जाती है’ छत्तीसगढ़ राज्य में चारों तरफ़ बदलते हालात की यही लहर नज़र आती है। पिछले साल जैसे ही पुरानी सरकार बदली, कर्ज़-माफ़ी के फ़ैसले के साथ नई सरकार ने परिवर्तन और कई नई जन-कल्याणकारी योजनाओं की झड़ी लगा दी। प्रजातंत्र की यही ख़ूबसूरती है जिसमें जनता अपने मत के प्रयोग से शासन और शासक दोनों को ही बदल देती है। आजकल यही बदलाव पूरे राज्य में भी देखने को मिल रहा है।
जैसे ही छत्तीसगढ़ में नई सरकार सत्ता में आई, 2018 में किए गए जन-घोषणा के वायदे के मुताबिक़ उसी दिन अल्पकालीन कृषि-ऋण को माफ़ कर दिया। जिसमें राज्य के 16 लाख 65 हज़ार से ज्य़ादा किसानों पर 6,230 करोड़ से ज्य़ादा का ऋण था, माफ़ करने का निर्णय लिया गया।
अब सवाल है कि किसानों की कृषि-ऋण माफ़ी, किसानों की अधिग्रहित भूमि वापसी, तेंदूपत्ता और वनोपज संग्रहण समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी और नयी राज्य सरकार की दूसरी योजनाओं से छत्तीसगढ़ के जनजीवन पर कितना असर पड़ा है और पड़ने वाला है? हमने एक कोशिश की लोगों के जीवन में आने वाले बदलावों का एक अध्यन करने की।