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तंबाकू और स्मोकिंग के जानलेवा खतरों के बावजूद इसके प्रोडक्ट्स की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है. एक ओर जहां तंबाकू के इस्तेमाल से लाखों लोगों की जान जा रही है, वहीं दूसरी ओर इसके नए-नए प्रोडक्ट्स मार्केट में पांव पसार रहे हैं. कई प्रोडक्ट्स को तंबाकू और सिगरेट का बेहतर विकल्प बताया जाता है.
क्या वाकई में हमारी सेहत, पर्यावरण और जिंदगी के लिए खतरनाक तंबाकू और स्मोकिंग का कोई बेहतर विकल्प हो सकता है?
कई बड़े कॉफी शॉप, पब, डिस्क और हुक्का बार में कई फ्लेवर्स में हुक्का मौजूद होता है. इसमें एक डिवाइस होती है, जो तंबाकू को हीट करती है और उसे पानी से गुजारती है.
कई लोगों को लगता है कि हुक्का सेफ है, लेकिन असल में ये सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है. एक घंटे के हुक्का सेशन से आप उतना धुआं अंदर ले लेते हैं, जितना कि 100 सिगरेट से मिलता है.
एक मिथ ये है कि हुक्के में इस्तेमाल पानी टॉक्सिन को फिल्टर कर देता है, लेकिन पानी सिर्फ धुएं को ठंडा करता है ताकि उसे इनहेल करना आसान हो. इसके जरिए भी आप सिगरेट की तरह ही कैंसर-कॉजिंग टार, कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन ले रहे होते हैं.
मार्केट में हर्बल सिगरेट, लो टार और लो निकोटिन सिगरेट भी आते हैं. हालांकि ये भी दूसरे सिगरेट्स की तरह ही खतरनाक हैं. इनमें अक्सर दूसरे जहरीले केमिकल ज्यादा होते हैं, उनमें से एक है, कार्बन मोनोऑक्साइड.
स्मोकर्स में हार्ट और सर्कुलेटरी डिजीज का एक मेजर फैक्टर कार्बन मोनो ऑक्साइड होता है.
ई-सिगरेट बेचने वाली कंपनियां दावा करती हैं कि ये सिगरेट का सुरक्षित विकल्प है और स्मोकिंग की लत छुड़ाने में भी मददगार हो सकता है. हालांकि ई-सिगरेट में लिक्विड निकोटिन और दूसरे खतरनाक केमिकल होते हैं.
कई स्टडीज में बताया गया है कि ई-सिगरेट नशे की आदत पड़ने और जारी रखने को बहुत आसान बना देता है. इससे स्मोकर्स का एक नया वर्ग तैयार हो सकता है, जिन्होंने पहले कभी स्मोकिंग न की हो.
अमेरिका में ऐसा देखा भी गया है कि स्कूली बच्चों तक ने इसके कई फ्लेवर्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. अमेरिकी एजेंसीज ई-सिगरेट पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाने की सोच रही हैं. वहीं भारत में हेल्थ मिनिस्ट्री की सलाह पर कई राज्यों में ई-सिगरेट पर बैन लगा दिया गया है.
ई-सिगरेट के हीटिंग एलिमेंट्स और बैटरी की वजह से एक खतरा इसके ब्लास्ट होने का होता है. इस्तेमाल के दौरान ई-सिगरेट फटने के कई मामले भी सामने आ चुके हैं.
ई-सिगरेट के बाद सिगरेट का एक और ऑल्टरनेटिव आया, जिसे 'heat not burn' टोबैको डिवाइस कहते हैं. इस प्रोडक्ट को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से बेचे जाने की मंजूरी मिल चुकी है.
IQOS यानी I Quit Ordinary Smoking एक 'heat not burn' स्मोकलेस टोबैको है. ये बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है. इसमें टोबैको स्टिक्स हीट होते हैं और एरोसॉल जनरेट करते हैं, जिसमें निकोटिन होता है.
इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं हो सकता. एक स्टडी में पाया गया कि सिगरेट छोड़ हीट नॉट बर्न टोबैको डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले स्मोकर्स के लंग्स के फंक्शन में कोई सुधार नहीं हुआ था. एक्सपर्ट्स इस पर और रिसर्च की जरूरत बताते हैं.
18 सितंबर 2019 को मोदी सरकार ने देश में ई-सिगरेट और ई-हुक्का, हीट नॉट बर्न प्रोडक्ट्स जैसे उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसके मुताबिक ई-सिगरेट और ई-हुक्का का प्रोडक्शन, इंपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री गैरकानूनी है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक तंबाकू के धुएं में 4 हजार से ज्यादा केमिकल होते हैं, जिनमें से ज्यादातर केमिकल नुकसान करते हैं और 50 से ज्यादा केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं.
सिगरेट के तमाम ऑल्टरनेटिव जिन्हें Safer Cigarette बता कर बेचा जाता है, उनसे स्मोकर्स को कितना कम नुकसान होगा ये भले ही साफ न हो, लेकिन इनके कारण स्मोकिंग को बढ़ावा मिलने की आशंका जरूर रहती है.
इसलिए अगर आप तंबाकू के खतरों से खुद को और अपनों को बचाना चाहते हैं, तो इसका सिर्फ एक ही तरीका है, किसी भी तरह के तंबाकू और स्मोकिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.
कैमरा: अभिषेक रंजन
वीडियो एडिटिंग: पुनीत भाटिया
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